डीजल की कीमतें पिछले 20 दिनों में करीब 6 रुपये प्रति लीटर तक सस्‍ती हुई है. लेकिन उम्‍मीद के मुताबिक अब तक रिटेल मंहगाई में कोई कमी नहीं आई है. इसकी मुख्‍य वजह है माल भाड़ा जोकि अभी तक सस्‍ता नहीं किया गया है.

मंहगाई कैसे होगी कम
एक अनुमान के मुताबिक, एग्री कमोडिटी में करीब 5 परसेंट हिस्सा ट्रांस्पोर्टेशन कॉस्ट का होता है, जिसकी वजह से डीजल के दाम गिरने के बाद मंहगाई में कमी की उम्मीद थी. अब ऐसे में माल भाड़ा में कटौती न होने से खाद्य पदार्थ के दाम भी कम नहीं हो सकते. देश में ट्रांसपोर्टर्स की सबसे बड़ी एसोसिएशन ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष बाल मल्कित सिंह का मानना है कि पिछले महीनों में ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री के ऑपरेटिंग मार्जिन में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. इसके चलते डीजल के दामों में कटौती के बावजूद माल भाडे़ में कमी नहीं की गई.
भाड़ा कम करना मुमकिन नहीं
मल्कित सिंह का कहना है कि इंडस्ट्री पहले से काफी नुकसान में चल रही है. डीजल की कीमतों में इस कटौती के बाद इंडस्ट्री के लिये राहत की बात जरूर है, लेकिन इस कटौती के बाद टैरिफ में कोई परिवर्तन करना मुमकिन नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर आगे भी डीजल की कीमतों में गिरावअ हो जाये फिर भी भाड़े में कटैती की कोई गुंजाइश नहीं है.
रिटेल स्तर पर कम होगा असर
पॉलिसी एक्सपर्ट विजय सरदाना का मानना है कि रिटेल मंहगाई पर डीजल की कीमतों का ज्यादा असर भले न दिखे, लेकिन थोक मंहगाई पर इसका असर दिखना तय है. उनके मुताबिक थोक विक्रेता बड़े स्तर पर डीजल की कीमतों में गिरावट के बाद ट्रांसपोर्टर्स से मोलभाव कर सकते हैं. जिसकी वजह से थोक मंहगाई में गिरावट देखने को मिल सकती है लेकिन रिटेल स्तर पर इसका असर काफी कम होगा. आपको बताते चलें कि पिछले कुछ समय से डीजल के दामों में भारी गिरावट हुई है. सरकारी तेल कंपनियों ने डीजल 2.25 रुपये प्रति लीटर सस्ता किया है. वहीं 18 अक्टूबर को 6 साल बाद पहली बार डीजल के दाम 3.37 रुपये तक घटे थे.

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari