बीसीसीआई की अनुशासन समिति के फैसले से अनभिज्ञ क्रिकेटर श्रीसंत अपनी स्‍कॉर्पियो की अगली सीट पर बेफिक्र होकर गाना सुनते आए. अपनी एक दलील पर उन्‍हें भरोसा था लेकिन फैसले ने उन्‍हें गहरे सदमे में डाल दिया. वापस वह पिछली सीट पर गए. पढि़ए क्‍या थी श्रीसंत की दलील और क्‍यों थे वे बेफिक्र...


‘मैं जरूर वापसी करूंगा और मैंने इसके लिए ट्रेनिंग भी शुरू कर दी है. मुझे पूरी उम्मीद है कि मैं एक बार फिर देश के लिए खेलूंगा.’ -श्रीसंत (सजा सुनाए जाने के बाद एक मलयाली टीवी चैनल से)फैसले से थे अनभिज्ञ


बीसीसीआइ अनुशासन समिति के समक्ष पेश होने और उसका फैसला आने से पहले दागी क्रिकेटर एस श्रीसंत को देखकर कोई यह नहीं कह सकता था कि कुछ ही पलों में इस क्रिकेटर के करियर का फैसला होने वाला है. श्रीसंत भी शायद आने वाले फैसले से बिल्कुल अनभिज्ञ थे. हमेशा की तरह वह मस्त थे. स्कॉर्पियो की अगली सीट पर बैठकर गानों का मजा लेते हुए वह बैठक में पेश होने के लिए होटल पहुंचे. उनके साथ बचपन के दोस्त और चचेरे भाई भी थे, जिनके साथ वह हंसी-मजाक करते दिखे. लेकिन शाम तक उनका चेहरा पूरी तरह से उतर चुका था. फैसले के बाद वह गहरे सदमे में चले गए थे. वह खुश था और उसे विश्वास भी था

दिल्ली में रहने वाले उनके चचेरे भाई प्रणब ने कहा, ‘वह खुश था और उसे विश्वास था. गुरुवार की रात वह यहां पहुंचा और हमने अच्छा समय बिताया.’ श्रीसंत के लिए यह महत्वपूर्ण दिन था ऐसे में लंदन में रहने वाले उनके बचपन के दोस्त मनोज भी उनके साथ दिखे. श्रीसंत के एक साथी क्रिकेटर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘श्रीसंत गाड़ी में मस्त था. उसने सुनवाई और फैसले को लेकर कोई बात नहीं की. यह वही श्रीसंत था जिसे हम सभी जानते हैं, कोई दवाब नहीं और आत्मविश्वास से भरपूर.’ अपनी सफाई देने के लिए श्रीसंत को सबसे आखिर में बुलाया गया. बाहर निकलने पर उन्होंने न्यायपालिका और बीसीसीआइ पर पूरा भरोसा जताया. लेकिन जब वह वापस लौटने के लिए गाड़ी में बैठे तो इस बार उन्होंने पिछली सीट चुनी, जिसने समय, माहौल और उनकी मन:स्थिति का पूरा खाका खींच दिया. मैं कभी भी किफायती गेंदबाज नहीं रहा : श्रीसंत

बीसीसीआइ की अनुशासन समिति के समक्ष श्रीसंत ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि वह कभी भी किफायती गेंदबाज नहीं रहे. राजस्थान रॉयल्स के इस खिलाड़ी के ऊपर यह इल्जाम था कि नौ मई को किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ खेलते हुए उसने जानबूझकर एक ओवर में 13 रन लुटवाए (बुकी ने 14 रन की मांग की थी). श्रीसंत ने पेशी के बाद कहा, ‘मैं कभी भी किफायती गेंदबाज नहीं रहा. मैं पहले भी काफी रन देता रहा हूं, इसलिए मेरे एक ओवर में 13 रन बनना सामान्य बात थी. मैंने कभी खेल के साथ दगाबाजी नहीं की. मैंने अधिकारियों के साथ कोई बहस नहीं की. मैंने उन्हें सिर्फ अपनी बात कही. सभी ने मुझे पूरा सहयोग दिया. जब मैं छोटा था तब देश के लिए खेलना मेरा एक सपना था, इसलिए मैं कुछ भी गलत करने की सोच भी नहीं सकता.’Report by: Jasvinder Siddhu (Mid Day)

Posted By: Satyendra Kumar Singh