कथक नृत्यांगना सितारा देवी का निधन, बेटे के आने पर होगा अंतिम संस्कार
ठुकराया था पद्म श्री सम्मान पिछले 60 दशकों से भी ज्यादा समय से वह एक विख्यात कथक नृत्यांगना हैं, और बॉलीवुड में इस विधा को लाने का श्रेय उन्हीं को जाता है. वह संगीत नाटक अकादमी, पद्मश्री और कालिदास सम्मान जैसे प्रतिष्ठित सम्मान पा चुकी हैं. बचपन में कुछ फिल्मों में उन्होंने डांस भी किया था. 1973 में सितारा देवी को पद्म श्री सम्मान मिला था जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था. इन्होंने कहा कि क्या सरकार मेरे योगदान को नहीं जानती है. ये मेरे लिये सम्मान नहीं अपमान है. मैं भारत रत्न से कम नहीं लूंगी. सितारा देवी ने कई फिल्मों में भी काम किया है. उनकी फिल्मों में शहर का जादू (1934), जजमेंट आफ अल्लाह (1935), नगीना, बागबान, वतन (1938), मेरी आंखें (1939) होली, पागल, स्वामी (1941), रोटी (1942), चांद (1944), लेख (1949), हलचल (1950) और मदर इंडिया (1957) प्रमुख हैं.
टैगोर को किया था प्रभावित
सितारा देवी का असली नाम धनलक्ष्मी था. इनका जन्म कोलकाता में नर्तक सुखदेव महारा के यहां हुआ था. 11 साल की उम्र में उनका परिवार मुंबई रहने चला गया, जहां उन्होंने तीन घंटे के एकल गायन से नोबल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर को प्रभावित किया था. सितारा देवी ने बॉलीवुड की अनेक अभिनेत्रियों को नृत्य का प्रशिक्षण दिया है. मधुबाला, रेखा, माला सिन्हा और काजोल जैसी बालीवुड की अभिनेत्रियों ने उनसे ही कथक नृत्य की शिक्षा प्राप्त की है.