Trained to be big boss
इंडिया में इंडस्ट्रियलिस्ट्स द्वारा अपनी कंपनी की कमान अपने बच्चों को सौंपना एक आम चलन है, लेकिन नए दौर की पीढ़ी के लिए यह इतना आसान नहीं रहा. मौजूदा समय में इंडस्ट्रियलिस्ट्स के बेटों और बेटियों को कंपनी की टॉप पोस्ट हासिल करने के लिए निचले लेवल पर इंप्लॉइज के साथ काम करना पड़ता है, जो उनकी ट्रेनिंग का हिस्सा है. वहीं कुछ ऐसे बिजनेस ग्र्रुप्स भी हैं, जिन्होंने फैमिली से बाहर जाकर अपने सक्सेसर की तलाश शुरू की है. एक नजर ऐसे ही कुछ कॉर्पोरेट ग्र्रुप्स पर.- रीयलिटी कंपनी डीएलएफ ने हाल ही में नई पीढ़ी के मेंबर को कंपनी में शामिल किया. डीएलएफ के चेयरमैन के पी सिंह के नाती ने कंपनी में बतौर ट्रेनी अपना करियर शुरू किया है.
- इसी तरह 190 साल के आरपीजी ग्रुप के ओनर संजीव गोयनका ने पिछले हफ्ते अपने 21 साल के बेटे शाश्वत गोयनका के जल्द ही ग्रुप में शामिल होने के संकेत दिए. संजीव ने कहा कि उनका बेटा व्हार्टन से ग्र्रेजुएट होने के बाद कंपनी में शामिल होगा.
- इसी साल मुकेश अंबानी जब लंदन में बीपी के साथ 7.2 अरब डॉलर का कांट्रैक्ट करने गए थे, उस समय उनका बेटा आकाश भी साथ में था. आकाश की मौजूदगी से ये अटकलें शुरू हो गई थीं कि उन्हें देश की सबसे वैल्यूबल कंपनी का मुखिया बनने के लिए तैयार किया जा रहा है. हालांकि, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने आकाश के ग्रुप में शामिल होने के बारे में कुछ नहीं कहा है. - आईटी कंपनी विप्रो के प्रमुख अजीम प्रेमजी के बेटे रिषद को कंपनी में लोअर लेवल पर चार साल पहले शामिल किया गया था. उन्हें इसी साल कंपनी का चीफ प्लानिंग ऑफीसर बनाया गया है. प्रेमजी के मुताबिक, रिषद को कंपनी में अपनी जगह खुद बनानी होगी.- पिछले साल भारती ग्रुप के प्रमुख सुनील मित्तल के बेटे श्रविण को कंपनी में मैनेजर बनाया गया था. - इसी तरह विजय माल्या के यूबी ग्रुप, शिव नादार के एचसीएल, किशोर बियाणी की अगुवाई वाले फ्यूचर ग्रुप, गोदरेज, पिरामल और टीवीएस ग्रुप्स के प्रमुखों के बेटों या बेटियों को ग्रुप के कारोबार से जोड़ा गया है. ये हैं exceptions वहीं दूसरी ओर, इंफोसिस, एचडीएफसी, एक्सिस बैंक और आईसीआईसीआई बैंक में नए सक्सेसर को फैमिसली के बाहर से लाया गया है. टाटा ग्रुप ने तो रतन टाटा के सक्सेसर की तलाश के लिए एक सर्च कमेटी भी बनाई है. रतन टाटा दिसंबर, 2012 में रिटायर हो रहे हैं.
आज कंपनियां सिर्फ फैमिली के लोगों को रखने पर ही ध्यान नहीं दे रही हैं, बल्कि वे बाहरी लोगों को भी बड़ी जिम्मेदारियां दे रही हैं. टाटा ग्रुप और इंफोसिस इसका सबसे बड़ा एग्जांपल हैं, जो बाहरी कैंडीडेट्स को सक्सेसर बनाने पर विश्वास करता है. -राजन वधावन, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर, प्राइसवाटरहाउस कूपर्स