18 अगस्त को रात्रि में 9:21 बजे हो रहा अष्टमी का प्रवेश कन्हैया को झूला झुलाने से पूरी होती है मनोकामना

ये है शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारंभ : 18 अगस्त, रात्रि 9:21 बजे
अष्टमी तिथि विश्राम 19 अगस्त, रात 1:08 बजे
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ : 20 अगस्त, रात्रि 01:53 बजे
रोहिणी नक्षत्र विदाई : 21 अगस्त प्रात: 4:40 बजे

बरेली (ब्यूरो)। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व सनातन धर्म में बहुत महत्व रखता है। भाद्रपद की अष्टमी तिथि की मध्यरात्रि में भगवान विष्णु के पूर्ण कलावतार के रूप में भगवान कृष्ण का प्राकटय हुआ था। उन्होंने अपनी बाल लीलाओं से पृथ्वीवासियों को निहाल कर दिया। एक ओर कृष्ण ने विश्व को प्रेम का पाठ पढ़ाया, वहीं गीता के अद्भुत ज्ञान का संदेश भी दिया। उनके प्राकटयोत्सव को मनाने के लिए उनके उपासक-साधक वर्ष भर अत्यंत अधीरता के साथ प्रतीक्षा करते हैं। वैष्णवों का मत है कि इस अवसर पर बाल गोपाल को पालने में झुलाने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की पूजा करने से संतान प्राप्ति का सुख मिलता है। पूजा करने के साथ उपवास रखने से कई व्रतों का फल मिल जाता है। इस दिन घरों और मंदिरों में झांंकी भी सजाई जाती हैं।

19 अगस्त को जन्माष्टमी
रक्षाबंधन पर तिथियों को लेकर मतभेद की स्थिति के बाद अब जन्माष्टमी को लेकर भी विभिन्न पंचांग अलग-अलग तिथियां बता रहे हैं। भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में अर्धरात्रि को हुआ था। इस बार भाद्रपद की अष्टमी दो दिनों तक है। अष्टमी तिथि का प्रवेश इस बार 18 अगस्त 2022 दिन गुरुवार को रात्रि में हो रहा है। इस कारण कई लोग 18 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे। वहीं शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म में उदया तिथि सार्वभौमिक माना गया है, इसलिए वैष्णवजन 19 अगस्त को उपवास रखते हुए पर्व मनाएंगे।

दोनों तिथियों में नहीं रोहिणी नक्षत्र
जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र का विशेष महत्व है, क्योंकि इस नक्षत्र में ही श्रीकृष्ण प्रकट हुए थे। अत: इस नक्षत्र में ही उत्सव मनाने की परंपरा है। लेकिन, इस बार दो तिथियों में अष्टमी तिथि होने के बाद भी 18 और 19 किसी में भी रोहिणी नक्षत्र नहीं पड़ रहा है। यह 20 अगस्त को रात्रि 01:53 बजे प्रवेश करेगा और 21 अगस्त को प्रात: 4:40 बजे तक रहेगा।

18 को प्रवेश हो रही है अष्टमी
महावीर पंचाग के अनुसार 18 अगस्त को रात्रि में 9:21 बजे अष्टमी का प्रवेश हो रहा है। इसलिए इस तिथि में भी लोग जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे। दूसरी ओर बनारसी पंचाग में 19 को जन्माष्टमी मनाने पर जोर दिया गया है। वैसे भी उदया तिथि मानने वाले लोग 19 अगस्त शुक्रवार को जन्माष्टमी मनाएंगे। विद्वानों के अनुसार चूंकि यह व्रत निशाव्यापनी है, अत: 18 को मनाया जा सकता है। बनारसी पंचाग के अनुसार अष्टमी शुक्रवार की रात 1:08 बजे तक है इसलिए 19 को ही जन्माष्टमी मनाना सर्वमान्य होगा। मिथिला पंचाग में भी 19 को जन्माष्टमी दर्शाया गया है।


इन पदार्थों से लगाएं भोग
माखन और मिश्री : माखन और मिश्री श्रीकृष्ण को अति प्रिय है। ऐसे में जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण को इन दोनों ही चीजों का भोग जरूर लगाएं। इसमें तुलसी के पत्ते का इस्तेमाल जरूर करें।

धनिया पंजीरी : जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण को धनिया पंजीरी का भोग लगाया जाता है। इसके लिए धनिया पाउडर में काजू, बादाम, मिश्री और घी को मिलकर मिक्स कर लें और कान्हा को भोग लगाएं।

मखाने की खीर : श्रीकृष्ण को मखाने वाली खीर बहुत पसंद है। ऐसे में जन्माष्टमी पर कन्हैया को मखाने और मेवे वाली खीर का भोग लगाएं।

पंचामृत : जन्माष्टमी पर पंचामृत के बिना भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का पंचामृत से अभिषेक किया जाता है और प्रसाद के रूप में भी बांटा जाता है।

मखाना पाग : मखाना पाग को जन्माष्टमी के मौके पर ही तैयार किया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को इसका भोग जरूर लगाएं।

आटे की पंजीरी- माना जाता है कि आटे की पंजीरी भगवान श्रीकृष्ण को बहुत पसंद है, इसलिए धनिया और आटे दोनों की पंजीरी का भोग कान्हा को जरूर लगाएं।

Posted By: Inextlive