जिसने देश को दिया राजनाथ, वह हॉस्टल आज 'अनाथ'
- डीडीयूजीयू के गौतम बुद्ध हॉस्टल में रहकर प्रतिभाओं ने भरी हैं ऊंची उड़ानें लेकिन असुविधाएं कर रहीं विवश
- पानी से लेकर साफ-सफाई और लाइब्रेरी की है भारी कमी GORAKHPUR: डीडीडीयूजीयू के विभिन्न हॉस्टल की तस्वीर तो आपने देख ही लिया। आज आपको बता रहे हैं यूनिवर्सिटी के उस हॉस्टल के बारे में जिसने शहर, जिला ही नहीं, देश-दुनिया को एक से बढ़कर एक शख्सियतें दीं। देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कभी इसी हॉस्टल में रहकर पढ़ाई की थी। इस हॉस्टल में रिसर्च स्कॉलर रहते हैं, जिनकी उपलब्धियों पर उनके नाम को तो यूनिवर्सिटी प्रशासन भुनाता है लेकिन रहने के दौरान सुविधाएं देना भूल जाता है। 98 कमरे में रहते हैं रिसर्च स्कॉलर्सडीडीयूजीयू के गौतमबुद्ध हॉस्टल में कुल 98 कमरे हैं। इन कमरों में रहने वाले रिसर्च स्कॉलर्स को यूनिवर्सिटी की तरफ से केवल कमरा, बिजली और पानी के अलावा कोई और सुविधा मुहैया नहीं है। इतने बड़े हास्टल में मात्र एक आरओ लगा है जिस पर 98 रिसर्च स्कॉलर्स पानी पीते हैं। हॉस्टलर्स ने रिपोर्टर को बताया कि वे हॉस्टल चार्ज के रूप में 41,00 रुपए सालाना देते हैं लेकिन पीने का पानी भी ठीक से नहीं मिल पाता।
बस कुछ महीने चला वाई-फाईरिसर्च स्कॉलर्स ने बताया कि हॉस्टल में उनके पास लाइब्रेरी जैसी कोई सुविधा नहीं है, जिससे कि वह वहां से अपने स्टडी मैटेरियल ले सकें। हॉस्टल में जो वाई-फाई दी गई थी वह भी कुछ महीने में ही बंद हो गई। इससे रिसर्च से जुड़े चीजों को ढूंढने में भी दिक्कत होती है।
हर तरफ गंदगी हॉस्टल के बाथरूम और टायलेट में सफाई भी ठीक से नहीं होती। सिर्फ 2 सफाई कर्मी हैं। एक सरकारी नल है भी तो वह भी चलता नहीं है। साइकिल स्टैंड की मांग की गई, वह भी आज तक नहीं बन सका है। मेस बना है स्टोर रूम मेस में पुराने तख्त रखे गए हैं। जहां खाना बनना चाहिए, उसे स्टोर रूम बना दिया गया है। रिपोर्टर जब पहुंचा तो वहां कुछ कर्मचारी आराम फरमा रहे थे। जबकि किसी जमाने में मेस में भोजन पकता था। गौतमबुद्ध रिसर्च हॉस्टल टोटल कमरे - 98 आरओ - 01 (यह भी कभी-कभी खराब ही रहता है.) कर्मचारी - 04 आउट सोर्सिग कर्मचारी - 10 सफाई कर्मचारी - 02 सिक्योरिटी गार्ड - केवल कागजों में एक्वागार्ड - 00 (1970 में हुआ था हॉस्टल का शिलान्यास) -------- इन सभी ने लहराया है देश-विदेश में परचम1- रूम नंबर 16- राजनाथ सिंह, गृह मंत्री, भारत सरकार
2- रूम नंबर 84 - दिनेश चंद्र पांडेय, डीजीपी, झारखंड 3- रूम नंबर 80 - चंद्र प्रकाश कुशवाहा, बीडीओ, पिपरौली ब्लॉक, गोरखपुर 4- रूम नंबर 47 - वेद यादव, आरओ सेक्रेट्रिएट, उत्तर प्रदेश लखनऊ 5- रूम नंबर 79 - राजेश यादव, एडीओ, सहकारिता 6- रूम नंबर 76- विवेकानंद मौर्य, आईएएस -------- कोट्स इतना बड़ा हॉस्टल है लेकिन एक ही आरओ मशीन लगाई है। जबकि कई बार मांग की जा चुकी है। रिसर्च स्कॉलर्स के लिए यहां लाइब्रेरी की व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन वो भी नहीं है। धीरेंद्र कुमार, रिसर्च स्कॉलर हॉस्टल के बाथरूम, टायलेट में जिस तरह से साफ-सफाई प्रत्येक दिन होनी चाहिए, उस हिसाब से नहीं होती है। पानी की यहां सबसे बड़ी समस्या है। जिसे दूर किया जाना चाहिए। सुनील यादव, रिसर्च स्कॉलर गौतमबुद्धा हॉस्टल में रिसर्च स्कालर्स के लिए कमरे दिए गए हैं, लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। न तो मेस चलता है, और ना ही यहां पर रिसर्च स्कालर्स के लिए कोई लाइब्रेरी है जहां न्यूज पेपर, मैग्जीन या फिर करेंट अफेयर्स जैसे जानकारी हासिल की जा सके।जवाहर चौरसिया, रिसर्च स्कॉलर
हॉस्टल में ऐसे बाथरूम हैं जहां के दरवाजे टूटे हुए हैं। कभी मरम्मत ही नहीं हुई। मेस है तो पिछले कई अर्से से बंद पड़ा हुआ है जिसे खुलना चाहिए। अधिकतर समय खाना बनाने में ही चला जाता है। संजय प्रजापति, रिसर्च स्कॉलर वर्जन रिसर्च स्कॉलर्स की जो समस्या है उसके लिए मैं लगातार यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पत्र व्यवहार कर रहा हूं। मेस चलाने की दिशा में भी काम हो रहा है। रिसर्च स्कॉलर को बेहतर सुविधा देने की पूरी कोशिश की जाएगी। प्रो। रविशंकर सिंह, वार्डेन, गौतमबुद्ध रिसर्च हॉस्टल, डीडीयूजीयू