सौभाग्य योजना: प्री कनेक्शन की शर्तो में पेंच ही पेंच
- 500 रुपए देकर कनेक्शन ले रहे उपभोक्ता
- फ्री में बिजली लगाने के लिए चल रही तलाशतलाश रहे ग्राहकजिले में दिसंबर माह में सौभाग्य योजना की शुरूआत हुई है। विधानसभा क्षेत्रवार गरीब परिवारों को बिजली कनेक्शन देने के लिए कैंप भी लगाए गए हैं। हर घर को बिजली से रोशन करने के लिए बिजली विभाग के अधिकारियों को टारगेट सौंप दिया गया है। बावजूद इसके कनेक्शन लेने वालों को विभाग लुभा नहीं पा रहा है। सौभाग्य योजना की शर्त से लोगों के कनेक्शन लेने के अरमान टूट जा रहे हैं। बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शत-प्रतिशत कनेक्शन देने के लिए प्रयास जारी है।
आसान है 500 रुपए देना
सौभाग्य योजना की शर्तो के पेंच में कोई फंसना नहीं चाहता है। इसलिए लोग कनेक्शन अप्लाई करने के लिए 500 रुपए दे रहे हैं। ऐसा भी हो रहा है कि इन नियमों को दरकिनार कर आवेदकों को लुभाया जा रहा है। बिजली विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि बाद में ज्यादा बिल आने, बिल में छुपी हुई रकम की आशंका भी लोगों को परेशान कर रही है। इसलिए सौभाग्य योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। वर्ष 2022 तक हर घर को रोशन करने वाली पीएम की योजना का विकल्प तलाश करके अफसर किसी तरह से कनेक्शन बांट रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि इसमें दो तरह की योजना है। शर्त पूरा करने वालों को फ्री में बिजली दी जाएगी। दूसरे किश्तों में सिक्योरिटी राशि का भुगतान किया जा सकता है। न्यूनतम मासिक किश्त 50 रुपए तक रखी गई है।
- गरीब परिवार में 16 से 59 साल के व्यक्ति के होने पर फ्री कनेक्शन नहीं मिलेगा।- कनेक्शन उसी परिवार को दिया जाएगा जिनके पास कोई बसेरा न हो।- कनेक्शन लेने वाली परिवार की मुखिया महिला हो।- ऐसे भूमिहीन परिवार जो अपनी आजीविका हस्त मजदूरी से करते हैं।- ऐसे परिवार जो अनुसूचित जाति और जनजाति से संबंध रखते हों।- परिवार में 25 साल से ऊपर की आयु का कोई शिक्षित व्यस्क सदस्य न हो।- ऐसे परिवार में जिनमें कोई दिव्यांग सदस्य हो, कोई स्वस्थ वयस्क न हो।- कनेक्शन लेने वाले के पास कच्ची दीवार और छत व एक कमरा हो।- बंधुआ मजदूरी कानून से मुक्त कराए गए परिवारों को भी योजना में शामिल किया जाएगा।- ऐसे परिवार जिनके सदस्य कूड़ा बीनते हों, पुरातन जनजाति समूह के हों।
- भीख और दान पर अपना जीवन यापन करने वाले परिवार जिनका अपना कोई बसेरा भी न हो।
वर्जनइस संबंध में हमारे पास कोई जानकारी नहीं है। सुपरीटेंडिंग इंजीनियर्स को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। वे लोग ही कुछ बता पाएंगे।- एके सिंह, चीफ इंजीनियर यूपीपीसीएल, गोरखपुर