ग्लोबल क्रेडिट रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स एस एंड पी ने बुधवार को इंडिया की रेटिंग घटाकर निगेटिव कर दी है.


साथ ही उसने वार्निंग भी दी है कि अगर अगले दो साल में फिस्कल लॉस और पॉलिटिकल सिनैरियो में सुधार नहीं हुआ तो इसे और कम कर दिया जाएगा। एस एंड पी ने इंडिया का फाइनेंशियल सिनैरियो बीबीबी प्लस (स्टेबल) से घटाकर बीबीबी निगेटिव (नॉट स्टेबल) कर दिया।क्या होगा नुकसानरेटिंग कम होने से इंडियन कंपनियों के लिए विदेशों से कॉमर्शियल लोन जुटाना अधिक महंगा हो जाएगा। कैपिटल मार्केट पर भी इसका असर पड़ेगा। एस एंड पी की बीबीबी निगेटिव रेटिंग इनवेस्टमेंट के मामले में सबसे लो रेटिंग है। एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज के रिसर्च स्ट्रैटजी हेड एम। जगन्नाथम थुनुंगुटला के मुताबिक, 'इंडिया की यह नई क्रेडिट रेटिंग जंक बॉंड रेटिंग के दर्जे से मात्र एक कदम दूर है। हमें लगता है कि इंडिया की इकॉनमिक ग्रोथ की कहानी का अब द एंड करीब है.'आगे भी बरकरार है खतरा


रेटिंग एजेंसी ने आगे कहा है कि इंडिया का निगेटिव रेटिंग सिनैरियो अगले 24 महीने के दौरान और कम हो सकता है। एजेंसी ने कहा, 'अगर इंडिया के इकॉनमिक सिनैरियो में सुधार नहीं होता है, विदेशी प्लेटफॉर्म पर स्थिति और बिगड़ती है या अगर पॉलिटिकल इनवॉयरमेंट बिगड़ता है और सरकारी खजाने फिस्कल डेवलपमेंट की स्पीड धीमी पड़ती है, तो रेटिंग और कम हो सकती है.'

सरकार सबसे बड़ी अड़चन

एक अन्य ग्लोबल क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज के एनालिस्ट्स का मानना है कि इंडियन इकॉनमी पर इस समय पॉलिटिक्स हावी है और यही वजह है कि यह अपनी रियल कैपेसिटी से कम स्पीड में ग्रो कर रही है। मूडीज ने सेंट्रल गवर्नमेंट को देश में कॉमर्शियल एक्टिविटीज के मामले में सबसे बड़ी अड़चन बताया है। मूडीज के सीनियर फाइनेंशियल एक्सपर्ट ग्लेन लेविन ने एक रिपोर्ट में कहा कि इंडिया का इकॉनमिक सिनैरियो अब भी पॉसिबिलिटीज से कम आंका जा रहा है और कमजोर मैनेजमेंट की वजह से इसकी इकॉनमिक ग्रोथ उम्मीद से कम चल रही है। इस रिपोर्ट में मनमोहन सिंह को ऐसा बूढ़ा टेक्नोक्रेट बताया गया है जो खराब दौर से गुजर रही पॉलिटिक्स से थक चुके लगते हैं। विपक्ष ने भी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा पॉलिसी से जुड़े मामलों में लाचारी के लिए सरकार खुद जिम्मेदार है।'इकॉनमिक सिनैरियो में बदलाव के पीछे तीन में से एक की पॉसिबिलिटी की हमारी सोच ने काम किया है। इसमें आउटडोर प्लेटफॉर्म पर स्थिति लगातार बिगड़ती है, इकॉनमिक ग्रोथ की पॉसिबिलिटीज खत्म होती है या कमजोर पॉलिटिकल कोऑर्डिनेशन में फाइनेंशियल डेवलपमेंट के मोर्चे पर स्थिति ढीली बनी रहती है जैसे तीन अहम कारक शामिल हैं.'-ताकाहीरा आगावा
क्रेडिट एनालिस्ट एस एंड पी
'मैं इसको लेकर कुछ चिंतित जरुर हूं लेकिन घबराहट नहीं है। यह समय पर दी गई वार्निंग है। मुझे पूरा विश्वास है कि इकॉनमी सात परसेंट की रफ्तार से बढ़ेगी। हम फिस्कल लॉस को जीडीपी के 5.1 परसेंट के दायरे में रखने में कामयाब होंगे.' -प्रणव मुखर्जीफाइनेंस मिनिस्टर

Posted By: Inextlive