- पुलिस कमिश्नर प्रणाली में मिलेग प्रशासनिक अधिकार, गठित होंगी पुलिस अधिकारियों की कोर्ट

- जेल में छापेमारी का अधिकार भी पुलिस कमिश्नर को, फायर एनओसी भी करेंगे जारी

LUCKNOW : अब गुंडा एक्ट को डीसीपी व शांति भंग के मामलों की सुनवाई एसीपी कोर्ट करेगी। पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद कानून-व्यवस्था से संबंधित प्रशासनिक अधिकार मिलने के बाद अब इन को‌र्ट्स की स्थापना की कवायद भी शुरू हो गई है। वहीं, जेल में छापेमारी व फायर एनओसी जारी करने का अधिकार अब पुलिस कमिश्नर को होगा। धरना-प्रदर्शन व आयोजनों की परमीशन के लिये पुलिस मुख्यालय में जल्द ही विशेष हेल्प डेस्क स्थापित की जाएगी।

बढ़ा कार्यक्षेत्र

पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने से पूर्व गुंडा एक्ट, शांति भंग की आशंका जैसे मामलों की सुनवाई मजिस्ट्रेट की कोर्ट में होती थी। पर, प्रणाली लागू होने के बाद यह अधिकार पुलिस को मिल गए हैं। बताया गया कि अब गुंडा एक्ट की सुनवाई संबंधित डीसीपी करेंगे। जबकि, शांति भंग की आशंका में अरेस्ट किये गए आरोपियों व पाबंद किये गए आरोपियों की सुनवाई असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर करेंगे। इसके लिये इन अफसरों के दफ्तर में कोर्ट भी स्थापित की जाएगी। वहीं, रासुका के मामलों में निरुद्ध करने का निर्णय खुद पुलिस कमिश्नर करेंगे। इन सभी अधिकारियों की कोर्ट स्थापना की कवायद शुरू कर दी गई है। वहीं, शांति भंग के मामलों की सुनवाई अब एसीपी अफसरों ने शुरू कर दी है।

जेल निरीक्षण का अधिकार

कमिश्नर प्रणाली में जिला जेल के निरीक्षण का अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल गया है। इससे पहले जेल निरीक्षण का अधिकार जिलाधिकारी के पास होता था। हालांकि, अब यह अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास होगा। अब वे जब चाहे जेल का औचक निरीक्षण कर सकेंगे। इसके अलावा शहर में आयोजित होने वाले धरना-प्रदर्शन, राजनीतिक रैलियां, धार्मिक व सांस्कृतिक आयोजन की परमीशन देने का अधिकार भी पुलिस कमिश्नर के पास होगा। बताया गया कि इसके लिये डीसीपी मुख्यालय को अधिकार दिया जाएगा। पुलिस मुख्यालय में इसके लिये हेल्प डेस्क भी बनाई जाएगी, जहां आम लोग परमीशन के लिये अप्लाई कर सकेंगे।

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फायर एनओसी को नहीं लगाने होंगे कलेक्ट्रेट के चक्कर

डीएम के पास सभी प्रशासनिक अधिकार होने पर किसी भी बिल्डिंग में फायर एनओसी के लिये सीएफओ से मंजूरी मिलने के बाद डीएम कार्यालय से एनओसी मिलती थी। पर, पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद सीएफओ कार्यालय से मंजूरी मिलने के बाद पुलिस कमिश्नर एनओसी जारी करेंगे। इससे अब लोगों को कलेक्ट्रेट के चक्कर नहीं लगाने होंगे।

उपद्रवियों की संपत्ति भी जब्त कर सकेगी पुलिस

लखनऊ में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू किए जाने के साथ ही संसाधन बढ़ाने की कसरत शुरू हो गई है। बढ़े अधिकारों के तहत पुलिस अब किसी मामले में पाबंद व्यक्ति के शर्तो का उल्लंघन करने पर उसकी लोकस संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम के तहत संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई भी शुरू कर सकेगी। खासकर ¨हसा की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस ऐसी शक्ति का प्रभावी उपयोग कर सकेगी।

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ट्रैफिक समस्या पर फोकस करने का दिया निर्देश

अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बुधवार को लोक भवन में लखनऊ नगर के पहले पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय से मुलाकात के दौरान उन्हें कई निर्देश भी दिए। अवस्थी ने कहा कि अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। खासकर लखनऊ की ट्रैफिक व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए योजनाबद्ध ढंग से कार्रवाई की बात भी कही। महिला संबंधी अपराध के मामलों में त्वरित व प्रभावी कार्रवाई का निर्देश भी दिया।

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पदनाम बदलने का आदेश जारी

लखनऊ शहर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद यहां तैनात एएसपी व सीओ के पदनाम बदल गए हैं। डीजीपी मुख्यालय ने पदनाम बदले जाने का आदेश जारी कर दिया है। एएसपी अब एडिशनल डिप्टी पुलिस कमिश्नर व सीओ असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर हो गए हैं।

Posted By: Inextlive