- कृषि क्षेत्र में बेहतर आइडिया देने वालों को ICAR उपलब्ध करायेगा अवसर

- BHU में दो दिवसीय नेशनल सेमिनार में शामिल होने आये ICAR के उपमहानिदेशक ने दी जानकारी

VARANASI

अगर आपकी खेती किसानी या फिर खाद्य प्रसंस्करण में रुचि है इस क्षेत्र में कुछ खास कर दिखाने का माद्दा रखते हैं तो यह खबर खास आपके लिए है। जी हां, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) आपकी खास सोच को बेहतर रूप देने के लिए 'कृषि उड़ान' योजना शुरू की गयी है। योजना के तहत वह आपके विचार व हुनर को सही दिशा देकर उसे उद्योग का रूप देने के लिए प्लेटफॉर्म तैयार करायेगा। बीएचयू में दो दिवसीय राष्ट्रीय कृषि बौद्धिक सम्मेलन में शामिल होने आये आइसीएआर के उप महानिदेशक डॉ। एनएस राठौर ने डीजे आई नेक्स्ट के साथ हुई बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आइसीएआर, नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च मैनेजमेंट (नॉर्म) के तहत देश के छह शहरों में इस योजना की शुरुआत की गयी है।

टैलेंट को देंगे ट्रेनिंग

डॉ राठौर ने बताया कि बेहतरीन आइडिया देने वाले को हैदराबाद स्थित योजना मुख्यालय में छह महीने की स्पेशल ट्रेनिंग दी जायेगी। यहां आइडिया को न सिर्फ परखा जायेगा बल्कि उसे और बेहतर बनाने की दिशा भी दिखायी जायेगी। आइडिया को जमीनी हकीकत देने के लिए पैसे भी उपलब्ध कराये जायेंगे। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि सरकार बेहतरीन आइडिया के व्यावसायिक उपयोग में लाने के लिए कंपनी सेटअप लगाने में भी धन उपलब्ध करायेगी। बताया कि पूर्वाचल में अगर सरकार प्रस्ताव भेजे तो एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी शुरू किया जा सकता है।

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चुनौतियों का सामना करने में हम असक्षम

वर्तमान कृषि की चुनौतियों का सामना करने में हमारी कृषि प्रणाली असक्षम साबित हो रही है। यह एक चिंता का विषय है। यह बातें बुधवार मुख्य अतिथि भारतीय किसान संघ के सेक्रेटरी बद्री नारायण ने बीएचयू में कही। वह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारतीय किसान संघ व बीएचयू के एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट की ओर से 'प्राचीन भारतीय कृषि ज्ञान को वर्तमान कृषि शिक्षा एवं शोध में पुर्नउपयोग विषय पर दो दिवसीय सेमिनार के उद्घाटन में बोल रहे थे। आयोजन सचिव दिनेश कुलकर्णी ने कहा कि आज का कृषि स्नातक खेती को अपनाने की जगह सरकारी तथा निजी कम्पनियों में कार्य कर रहा है। आवश्यकता है उसकी शिक्षा को खेतों तक पहुंचाने की। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप-महानिदेशक (शिक्षा) डा। एनएस राठौर ने कृषि शिक्षा के नये प्रारूप पर चर्चा की। कामधेनु विश्वविद्यालय के वीसी डॉ। एमसी वाष्णेय ने गायों की प्रजाति पर चर्चा की। डॉ। राजेश सिंह ने कृषि शोध के व्यवसायिक उपयोग पर बल देते हुए किसान तथा वैज्ञानिकों के बीच समन्वय पर बल दिया। अध्यक्षता बीएचयू के वीसी प्रो। जीसी त्रिपाठी ने की। एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट बीएचयू डायरेक्टर प्रो। ए। वैश्मपायन ने इंस्टीट्यूट की उपलब्धियों तथा भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला। कार्यक्त्रम का संचालन प्रो। ओपी मिश्रा ने किया।

Posted By: Inextlive