ब्रॉडकास्टिंग टेलीविजन जर्नलिज्म का 34 साल का लंबा सफर देश -दुनिया को देखने का एक अलग नजरिया. हम आप उस शख्स को विनोद दुआ के नाम से जानते हैं. एक नाम जिसे सुनकर ही जायके की याद आ जाती है.


विनोद दुआ का जायके को लेकर अपना एक अलग नजरिया है. वे कहते हैं कि उनका सेंस ऑफ़ स्मेल और ज़ुबान दोनों ही बहुत अच्छी है. उनका मानना है कि कल्चरल रिकॉगनाइजेशन के लिए ज़ुबान का रोल अहम है क्योंकि खाना आबोहवा के हिसाब से बनाया जाता है. खाने का मज़हब या धर्म से कोई लेना-देना नहीं है.खुद क्या करते हैं पसंदजहां तक खाने की बात है तो विनोद दुआ खुद को पेटू नहीं मानते हैं. उन्हें वेज और नॉनवेज दोनों तरह के खाने पसंद हैं. नॉनवेज में उन्हें लाल गोश्त पसंद है. विनोद दुआ की यह बात काफी फेमस है, जिसमें वे कहते हैं- "मेरा मानना है कि अगर ऊपर वाला है तो उसने खाली समय में घी, लाल गोश्त और अच्छी व्हिस्की बनाई."Vinod's views 
विनोद दुआ के बारे में कहा जाता है कि एक पूरी पीढ़ी टेलीविज़न पर उन्हें देखते हुए बड़ी हुई है, जवान हुई है. ऐसे सवाल जब उनसे पूछे जाते हैं तो वे कहते हैं, "देखिए, जिस दौर में हम यूनीवर्सिटी में पढ़ते थे हम बहुत बेपरवाह होते थे. हमें बिल्कुल चिंता नहीं होती थी कि हमारा करियर क्या होगा. गिने-चुने विकल्प थे. आईएएस, आईपीएस, बैंक पीओ या फिर एमबीए करके डीसीएम में मैनेजमेंट ट्रेनी बन गए. उस वक़्त रास्ते ही ये होते थे. इन रास्तों की मैंने कभी परवाह नहीं की, इसलिए करियर ने कभी सताया ही नहीं. या यूँ कहें, मुझे शुरू से ही पता था कि क्या-क्या नहीं करना है."Job के बारे मेंविनोद दुआ ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें शुरु से ही पता था कि उन्हें 10 से पाँच की नौकरी नहीं करनी है. किसी की मिल्कियत मंज़ूर नहीं करनी है. विनोद दुआ ने बताया कि बचपन में उनके पिताजी उन्हें एक एक शेर सुनाते थे, “आज़ादी का एक लम्हा है बेहतर, ग़ुलामी की हयाते जावेदां से.”शब्द ही सब कुछ है


विनोद दुआ के बारे में कहा जाता है कि वे शब्दों की बाज़ीगरी करते हैं. इस बारे में उन्होंने एक कहानी सुनाई, जो इस तरह से है- " मैं छठी क्लास में था. तब हमारे मुहल्ले में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की बस आया करती थी. तो छठी में ही मैंने फणीश्वर नाथ रेणू का मैला आंचल पढ़ लिया था. बेशक उस समय ये तमीज़ नहीं थी कि उस उपन्यास का विश्लेषण कर सकें. तो शुरू से ही मेरा भाषा, साहित्य, संगीत, थिएटर से जुड़ाव रहा. हिंदी माध्यम से पढ़ाई की इसलिए साहित्य से नाता बना रहा. फिर कॉलेज गए तो बीए ऑनर्स अंग्रेजी और फिर एमए अंग्रेजी किया. तो कुल मिलाकर ये समझ में आया कि आपके दिमाग में अगर बातें स्पष्ट हैं तो शब्द खुद-ब-खुद आ जाते हैं. अगर विचार स्पष्ट नहीं हैं तो आप लफ्फ़ाजी करते हैं."Love for musicबहुत कम लोगों को पता होगा कि विनोद दुआ को म्यूजिक से सबसे अधिक लगाव है. उन्होंने संगीत शिरोमणि तक भारतीय शास्त्रीय संगीत सीखा है. Direct dil seविनोद दुआ कहते हैं कि दो लोग उनके दिल के बहुत नज़दीक हैं. एक हैं प्रणॉय रॉय और दूसरे एमजे अकबर. 18 घंटे काम

विनोद दुआ काम के मामले सबसे अधिक गंभीर है. वे दिन में तकरीबन 18 घंटे काम करते हैं. आप भले ही उन्हें उन्मुक्त, किसी बंधन में न बंधने वाले समझते होंगे लेकिन सच्चाई यही है. इस बारे में वे अक्सर कहते हैं- "देखिए, जब मैं 18 घंटे की बात करता हूँ तो इसका मतलब ये नहीं कि 18 घंटे की शिफ्ट हो. लेकिन अगर ज़रूरत है कि मैं 20 घंटे काम करूं तो मेरा वो वाला स्विच ऑन हो जाता है. किसी ने जॉर्ज बर्नाड शॉ से पूछा था कि मैन और सुपरमैन लिखने में आपको कितना समय लगा, उनका जवाब था, छह महीने और पूरा जीवनकाल. बिल्कुल इसी तरह ये बात मुझ पर और आप पर भी लागू होती है."(Compiled from a YouTube video and interview by Vinod Dua to BBC)

Posted By: Kushal Mishra