युवाओं की एक बड़ी तादाद ऐसी है जो सिर्फ अपने बारे में सोचती है. उन्हें अपनी मोटी सैलरी अच्छी वाइफ ब्रांडेड क्लॉथ्स बड़ी कार और एक शानदार बंगले से मतलब है. ऐसे युवा अपनी फैमिली को लेकर बहुत ज्यादा पजेसिव होते हैं. इसमें उनका भी कोई दोष नहीं क्योंकि ये एटीट्यूड उन्हें फैमिली और आस पड़ोस के लोगों से मिला है.


आज का यूथ मौजूदा सिस्टम में बदलाव तो चाहता है, लेकिन सिस्टम का हिस्सा बनकर खुद बदलाव लाने का हौंसला नहींदिखाता. ये इंजीनियर डॉक्टर, साइंटिस्ट और राइटर बनना चाहता है, लेकिन पॉलिटिशियन नहीं. आखिर क्या वजह है कि भगत सिंह, महात्मा गांधी और विवेकानंद का फॉलोअर होने के बावजूद देश का युवा पॉलिटिक्स से नफरत करता है.हमने जब लोगों से पॉलिटिक्स के युवा चेहरे की बात की तो जवाब में कुछ ऐसे नाम गिनाए गए जो वास्तव में आम लोगों के बीच के हैं ही नहीं. जब एक आम यूथ लीडर की बात की गई तो माहौल मौन ही मिला. जानते हैं क्या यहीं हैं हमारे यूथ लीडर...राहुल गांधी राहुल पॉलिटिक्स में क्यों हैं, क्योंकि वह गांधी फैमिली के वारिस हैं. कांग्रेस पार्टी के युवराज हैं. इसके अलावा उनके पास दूसरा कोई अनुभव नहीं.सचिन पायलट


सेंट्रल गवर्नमेंट में मिनिस्टर सचिन पायलट को भी पॉलिटिक्स में इसलिए जगह मिली क्योंकि वह कांग्रेस के सीनियर और कद्दावर लीडर रह चुके स्व राजेश पायलट के बेटे हैं.ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना के राजघराने से रिलेशन और कांग्रेस के सीनियर लीडर रहे स्व माधवराव सिंधिया के बेटे होने के कारण ही ज्योतिरादित्य सिंधिया आज पॉलिटिक्स में एक्टिव हैं.उमर अब्दुल्ला

केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री और जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुला भी अपनी राजनीतिक विरासत संभाल रहे हैं.वरुण गांधीराहुल गांधी की तरह वरुण गांधी भी गांधी फैमिली से बिलांग करते हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि वह बीजेपी के लीडर हैं.

Posted By: Divyanshu Bhard