दोहरी खुशखबरी

कानपुर और आसपास के लाखों क्रिकेट फैन्स के लिए दोहरी खुशखबरी है। इंडिया-वेस्टइंडीज वनडे मैच की मेजबानी के लिए ग्रीन पार्क की तगड़ी दावेदारी तो बनी ही हुई है। वहीं अब यहां आईपीएल मैचेज के लिए भी फटाफट तैयारियों का खाका भी तैयार हो चुका है। नई व्यवस्था के तहत स्टेडियम में एलईडी फ्लड लाइट्स लगेंगी। यही नहीं इनकी संख्या भी चार से बढ़ाकर छह किये जाने का प्रस्ताव है। ऑफिसर्स के अनुसार एलईडी फ्लड लाइट्स इंस्टॉल होने के बाद डे-नाइट मैच में बिजली का खर्चा आधा हो जाएगा। साथ ही नॉर्मल बल्ब की तुलना में एलईडी लाइट्स की व्हाइटनेस स्टेडियम को ज्यादा दूधिया बना देगी।

11 साल पहले लगी थी

सन-2002 में निर्माण निगम ने 5.50 करोड़ की लागत से ग्रीन पार्क में चार फ्लड लाइट्स लगवाई थी। एक पैनल में 84 बल्ब लगे हैं, जिनमें हर एक की क्षमता 2,000 वॉट की है। फ्लड लाइट्स के इन्हीं बल्ब को लाइट एमिटिंग डायोड (एलईडी) लाइट्स से रिप्लेस किया जाना है। ग्रीन पार्क क्यूरेटर शिव कुमार ने बताया कि एलईडी लाइट्स की दूधिया रोशनी ट्रेडिशनल बल्ब के कम्पेरिजन में काफी ज्यादा होती है। ग्राउंड पर जब इनकी रोशनी पड़ती है तो ज्यादा एरिया कवर होता है।

बढ़ सकती है संख्या

एलईडी लगने की वजह से स्टेडियम में फ्लड लाइट्स की संख्या 4 से बढ़ाकर 6 भी की जा सकती हैं। हालांकि, यह फ्लड लाइट लगाने वाली कम्पनी की टेक्निकल टीम डिसाइड करेगी कि ऐसा किया भी जाये या फिर 4 लाइटों से ही काम चल जाएगा। ग्रीन पार्क क्यूरेटर शिवकुमार ने बताया कि जब एलईडी लगेंगी तो फ्लड लाइट्स के पोल्स का ओरियंटेशन भी चेंज करवाया जाएगा। यानि चारों पोल्स को अपनी मौजूदा जगह से हटवाकर दूसरे स्थान पर लगवाया जाएगा। इस बारे में डीएम समीर वर्मा का भी मानना है कि अगर स्टेडियम को आईपीएल फॉर्मेट के लिए तैयार करवाना है तो काम भी परफेक्ट ही होना चाहिए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि फ्लड लाइट पैनल पर जो एलईडी लाइट लगवाई जाएंगी, उसे बनाने वाली कम्पनी के मालिक खुद टीम इंडिया को पहला वल्र्ड कप जितवाने वाले स्टार क्रिकेटर कपिल देव हैं।

15-15 फिट बढ़ेगी ऊंचाई

स्टेडियम में लगी चारों फ्लड लाइट्स की ऊंचाई 130 फिट है। मगर, जब से डायरेक्ट्रेट पवेलियन बनी है, उसके पीछे स्थित फ्लड लाइट की रोशनी मैदान तक पहुंच नहीं पाती। लिहाजा, डे-नाइट मैचेज के दौरान प्लेयर्स को काफी दिक्कत आती है। फ्लड लाइट लगाने वाली कम्पनी बजाज ने इसका एक सॉल्युशन जिला प्रशासन और ग्रीन पार्क मैनेजमेंट को सुझाया है। कम्पनी के अनुसार नये सिरे से लगवाई जाने वाली फ्लड लाइट्स अगर 15-15 फिट बढ़ा दी जाएं तो रोशनी ब्लॉक होने की समस्या पूरी तरह सॉल्व हो जाएगी। इस तरह एक फ्लड लाइट की ऊंचाई बढक़र 145 फिट पहुंच जाएगी। ऑफिसर्स को यह सुझाव काफी पसंद आया है।

ज्यादा भरोसेमंद हैं ये

क्यूरेटर शिवकुमार के मुताबिक नॉर्मल बल्ब की तुलना में एलईडी लाइट की ड्यूराबिलिटिी और लांगिविटी ज्यादा है। नॉर्मल बल्ब की तरह यह बार-बार खराब नहीं होती। फ्यूज बल्ब को रिप्लेस करने की कॉस्ट ज्यादा होती है। जबकि एलईडी लाइट को बदलने में ज्यादा खर्च नहीं आयेगा। साथ ही ये ज्यादा वक्त तक टिकाऊ बनी रहती हैं। मतलब, इनमें फुंकने का ज्यादा खतरा नहीं होता। यही नहीं इनकी रोशनी ज्यादा दूधिया होती है, जो मैदान का ज्यादा एरिया कवर करती हैं।

करीब 100 बल्ब खराब

ऐसा नहीं है कि फ्लड लाइट्स में लगने वाले बल्ब कभी खराब नहीं होते। सोर्सेज की मानें तो इस वक्त स्टेडियम की चारों फ्लड लाइट्स में करीब 100 बल्ब खराब पड़े हैं। चूंकि यहां अभी इंटरनेशनल लेवल के डे-नाइट मैच आयोजित नहीं किये गये हैं। इसलिए इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, लेकिन आईपीएल मैचेज के मद्देनजर कोई कॉम्प्रोमाइज नहीं किया जा सकता। एलईडी लाइट्स लगने के बाद ऐसी कोई दिक्कत नहीं आएगी।

बिजली का खर्च भी आधा

स्टेडियम की सभी फ्लड लाइट अलग-अलग जेनरेटर से अटैच हंै। एक डे-नाइट मैच के दौरान एक फ्लड लाइट चार घंटे जलती है। इस दौरान जेनरेटर में 240 लीटर डीजल की खपत होती है। इस तरह चार फ्लड लाइट्स में कुल 960 लीटर कंज्यूम हो जाता है। डीजल की मौजूदा कीमत के हिसाब से खर्च की यह रकम लगभग 5 लाख रूपए पहुंच जाती है। ऑफिसर्स के अनुसार एलईडी लाइट्स लगने पर यह खर्च आधे से भी कम हो जाएगा।