सेना ने पथरीबल फर्जी मुठभेड़ कांड की फाइल यह कहते हुए बंद कर दी है कि आरोपियों में से किसी के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं.


समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार जम्मू में सेना के एक प्रवक्ता ने कहा, ''इकट्ठा किए गए साक्ष्य पहली नज़र में आरोपों को पुष्ट नहीं करते.'' उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि विशेष गुप्त सूचना के आधार पर इस मुठभेड़ को सेना और पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से अंजाम दिया गया. सेना ने इस मामले को बंद कर दिया है. इस बारे में श्रीनगर में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत को सूचना दे दी गई है.''लेकिन जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इसे निराशाजनक बताया और कहा है कि वो इस मामले में दूसरे विकल्पों पर विचार करने के लिए एडवोकेट जनरल से कहेंगे.उन्होंने ट्वीट किया है, ''यह मामला काफी गंभीर है और इसे इस तरह बंद नहीं किया जा सकता. सीबीआई जांच के नतीजे अपने आप में गंभीर हैं.''पुलिस को क्लीन चिट


प्रवक्ता ने कहा, ''इस मामले में राज्य सरकार व पुलिस के अधिकारियों व बड़ी संख्या में स्थानीय गवाहों समेत 50 लोगों से पूछताछ की गई.''18 पन्नों के अपने आरोप पत्र में सीबीआई ने कहा था कि सिख समुदाय के सदस्यों के मारे जाने के बाद इलाके में तैनात सैन्य टुकड़ी पर परिणाम दिखाने का चौतरफा मानसिक दबाव आ गया था.

प्रवक्ता के अनुसार, अतीत में, जम्मू कश्मीर में सेना के 123 जवानों को मानवाधिकार उल्लंघन के 59 मामलों में दोषी पाया जा चुका है.

Posted By: Subhesh Sharma