बरेली: मेडिकल साइंस आज इतना आगे निकल चुका है कि कल्पना करना मुश्किल है, लेकिन आज तक ब्लड का दूसरा ऑप्शन साइंटिस्ट नहीं बना सके हैं। जरूरत पड़ने पर ब्लड की जरूरत किसी न किसी दूसरे व्यक्ति के ब्लड से ही पूरी होती है। यही वजह है कि रक्तदान को महादान और रक्तदान करने वाले को महादानी कहा जाता है। व‌र्ल्ड ब्लड डोनेशन डे पर आज हम कुछ ऐसे महादानियों से के बारे में बता रहे हैं।

बेटे के रोग ने बना दिया महादानी

इज्जतनगर रेलवे स्टेशन पर मुख्य वाणिज्यकर अधिकारी के रूप में तैनात आनंद स्वरूप सरन बताते हैं कि उनका बेटा विकास आनंद जब दो साल का था तब डॉक्टरों ने बताया उसे थैलेसीमिया है। इससे उसके शरीर में खून नहीं बन रहा था। उसे 15 से 30 दिन के अंदर एक यूनिट ब्लड चढ़ाना ही होता है। ऐसे में परिवार और रिश्तेदार तक परेशान हो गए। कई बार ब्लड अरेंज करने के लिए दिल्ली तक जाना पड़ा। बेटे का इलाज कराने के दौरान सोचते थे कि पता नहीं कितने और बच्चे इस तरह रोग से पीडि़त होंगे। यही सोचकर रक्तदान करने का संकल्प लिया और रक्तदान करने लगे। आनंद बताते हैं कि उनके साथ ही परिवार के सभी मेंबर्स हर तीन महीने बाद रक्तदान करते हैं। आज उनका बेटा विकास बरेली कॉलेज का स्टूडेंट है।

एक्सीडेंट के बाद बन गए मसीहा

सरदार इकबाल सिंह वाले वर्ष 1984 से अब तक 97 बार रक्तदान कर चुके हैं। उनके साथ उनकी पत्नी गुरुवचन कौर, बेटे रवींद्र सिंह और ज्ञानेंद्र सिंह भी रक्तदान करते हैं। सरदार इकबाल सिंह वाले बताते हैं कि एक बार वह बरेली जंक्शन पर किसी परिचित को छोड़ने गए थे। जहां वह हादसे का शिकार हो गए, एक बुजुर्ग ने उनकी मदद की जिससे उनकी जान बच गई। इस घटना के बाद उन्होंने दूसरों की जान बचाने का बीड़ा उठाया और रक्तदान करने लगे। वह बताते हैं कि वह जिसे रक्तदान करते हैं उसे भी रक्तदान करने के लिए संकल्प दिलाते हैं।

अवेयरनेस को लगाते हैं आउट डोर कैंप

पंकज भट्ट रेलवे में कार्यरत हैं वे वेस्ट बंगाल के निवासी हैं। वह बताते हैं कि 18 साल की उम्र से रक्तदान करते आ रहे हैं। पंकज बताते हैं तक जब वह बरेली आए तो देखा कि यहां लोग रक्तदान करने से डरते थे। लोगों के इस डर को दूर करने के लिए उन्होंने आउट डोर ब्लड डोनेशन कैंप लगाने का निर्णय लिया, जिससे लोगों को रक्तदान करता देख दूसरे लोग भी अवेयर हो सकें। इसके लिए प्रयास रेबो संस्था बनाकर 21 मई 2015 से कैंप लगाना शुरू किया। पंकज बताते हैं कि प्रत्येक कैंप में 50 से 100 लोग तक रक्तदान करते हैं।

पिता की मौत ने बदल दिया जिंदगी का मकसद

मोहित जौहरी बताते हैं कि उनके पिता रतन बहादुर जौहरी की 2008 में किडनी खराब हो गई। ट्रीटमेंट के दौरान ब्लड की जरूरत होती थी। खुद के साथ सगे-संबंधियों के भी ब्लड लेकर चढ़वाए, लेकिन 2010 में उनकी मौत हो गई। इसी दौरान उन्हें खून की कीमत का एहसास हुआ और उन्होंने रक्तदान को जीवन का मकसद बना लिया। साल में दो-तीन बार वह रक्तदान करते हैं।

मां की मौत और पिता की बेबसी से बने रक्तदाता

नये रक्तदाता बने निरंकार त्रिवेदी कहते हैं कि उनके बचपन में मां नीलम त्रिवेदी बीमार हो गई। ब्लड की व्यवस्था के लिए पिता परेशान रहते थे। काफी इलाज के बाद भी मां की मौत हो गई। पिता की इस बेबसी और मां की मौत के बाद उन्होंने रक्तदान कर लोगों की जान बचाने का संकल्प लिया। निरंकार करते हैं कि यही मां के प्रति उनकी सच्ची श्रद्धांजलि है।

एक साल के बच्चे ने बना दिया रक्तदाता

डेलापीर पटेल नगर निवासी नरेंद्र कुमार कहते हैं कि 1999 में अपने रिश्तेदार के अनुरोध पर रक्तदान करने गए थे। अस्तपाल में एडमिट एक साल के बच्चे पर उनकी नजर पड़ी, जिसे ब्लड चढ़ रहा था। पता चला कि वह थैलेसीमिया से पीडि़त था उसे हर महीने ब्लड चढ़ाना होगा, तभी वह जिंदा रह सकता है। सोचा पता नहीं कितने बच्चे इस तरह मौत से लड़ रहे होंगे और यह सोचकर रक्तदान करने का संकल्प ले लिया और रक्तदान करने लगे।

90 लोगों ने किया रक्तदान

व‌र्ल्ड ब्लड डोनेशन डे पर ट्यूजडे को आईएमए के सभागार में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें आईएमए प्रेसिडेंट डॉ। राजेश अग्रवाल ने भी 18 वीं बार रक्तदान किया। ब्लड बैंक के मेडिकल ऑफिसर डा। जेपी सेठी ने बताया कि पूरे दिन में 90 यूनिट ब्लड स्टोर किया गया। इस दौरान सचिव डॉ। राजीव गोयल, चेयमैन ब्लड बैंक डॉ। गिरीश चंद्र अग्रवाल और निदेशक डॉ। अंजू उप्पल आदि मौजूद रहे।

आईएमए ने 130 थैलेसीमिया पीडि़तों को लिया है गोद

आईएमए ब्लड बैंक से 130

थैलेसीमिया पीडि़तों को जीवन मिल रहा है। मेडिकल ऑफिसर डा। जेपी सेठी ने बताया कि इन सभी थैलेसीमिया पीडि़तों को आईएमए ब्लड बैंक से ब्लड दिया जाता है यह रक्तदाताओं के प्रयास से ही संभव हो सका है।

रक्तदान के फायदे

-आरबीसी का निर्माण तीव्र हो जाता है और शरीर में नये रक्त का संचार होता है।

-शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

-ब्लड में आयरन की मात्रा कंट्रोल रहती है।

-ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है।

Posted By: Inextlive