गुजरात के मुख्यमंत्री नहीं है गुजरात में हुए दंगों के आरोपी मोदी को बड़ी राहत


गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को सुप्रीम कोर्ट ने क्लीन चिट दे दी है. मोदी पर गुजरात में हो रहे दंगों को ना रोकने के आरोप थे. क्लीन चिट मिलना नरेंद्र मोदी के लिए बड़ी राहत मिलने जैसा है.इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित विशेष जाँच टीम (एसआईटी) ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देते हुए मामला बंद करने की रिपोर्ट सौंपी थी.ज़किया जाफ़री ने इसे अदालत में चुनौती दी है. इससे पहले दो दिसंबर को कोर्ट ने अपना फैसला 26 दिसंबर तक के लिए टाल दिया था.ज़किया जाफ़री की याचिका पर उनके वकीलों और एसआईटी के वकील की जिरह मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट बीजे गणात्रा के सामने पांच महीने तक चली.जिरह पूरी होने के बाद ज़ाफरी के वकील ने 18 सितंबर को अदालत को लिखित हलफ़नामा दिया था जबकि एसआईटी ने अपना लिखित हलफनामा 30 सितंबर को दिया था.


पहले मजिस्ट्रेट 28 अक्टूबर को फैसला सुनाने वाले थे लेकिन बाद में इसके लिए दो दिसंबर की तारीख़ रखी गई.क्या है मामला?गुलबर्ग सोसाइटी में दंगे के दौरान मारे गए एहसान जाफ़री की पत्नी ज़किया जाफ़री ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 62 अन्य लोगों ने गुजरात में हुई हिंसा को बढ़ावा दिया.

एहसान जाफ़री 2002 के दंगे में गुलबर्ग सोसायटी में हुई हिंसा में मारे गए 69 लोगों में शामिल थे. गुजरात में साल 2002 के दंगों में 1,000 से ज़्यादा लोग मारे गए थे, जिनमें ज़्यादातर मुसलमान थे.साबरमती एक्सप्रेस में लगी आग में हिंदुओं के मारे जाने के बाद गुजरात में दंगे भड़के थे. इन दंगों पर एसआईटी की अंतिम रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी गई थी और कहा गया था कि उनके ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत नहीं हैं.जाफ़री ने याचिका दायर कर एसआईटी की मामला बंद करने की रिपोर्ट पर आपत्ति जताई थी. इस रिपोर्ट में मोदी को किसी भी तरह के षड्यंत्र में शामिल होने से बरी कर दिया गया था.जाफ़री की शिकायत पर जांच पूरी करने के बाद एसआईटी ने आठ फरवरी, 2012 को जांच रिपोर्ट दायर की थी जिसमें कहा था कि आठ साल बीत जाने के कारण सबूत जुटाने में परेशानी के बावजूद, जो भी साक्ष्य जुटाए जा सके, उनसे यह साबित नहीं हो सका कि साल 2002 के दंगों के षड्यंत्र के आरोप जिन लोगों पर लगाए गए थे, वे इनमें शामिल थे.

हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस रिपोर्ट पर एक स्वतंत्र राय लेने के लिए वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन को अदालत की सहायता के लिए नियुक्त किया था.क्या कहा ज़किया ने?ज़ाकिया ने मोदी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की माँग की थी.ज़किया जाफ़री कई सालों से इस मामले में क़ानूनी लड़ाई लड़ रही हैं.आठ फरवरी 2012 को एसआईटी ने मामला बंद करने की रिपोर्ट सौंपी थी जिसके ख़िलाफ़ ज़किया जाफ़री ने 15 अप्रैल, 2013 में याचिका दायर की थी.इस याचिका में उन्होंने एसआईटी की रिपोर्ट ख़ारिज करने और मोदी और अन्य लोगों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाख़िल करने की मांग की थी.एसआईटी के वकील आरएस जमुआर ने मामला बंद करने की रिपोर्ट का बचाव और ज़किया जाफ़री की याचिका को ख़ारिज किए जाने की मांग करते हुए कहा था कि जाँच के दौरान ज़किया जाफ़री के आरोपों के पक्ष में कोई प्रत्यक्ष या परिस्थितिजन्य सबूत नहीं मिला है.गुलबर्ग सोसायटी में हुई हिंसा की जाँच एसआईटी अलग से कर ही रही थी लेकिन ज़किया जाफ़री ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर अनुरोध किया था कि इस हत्याकांड के लिए मोदी सहित 62 लोगों के ख़िलाफ़ नामजद रिपोर्ट दर्ज की जाए और उनकी भूमिका की जाँच की जाए.Hindi news from National news desk, inextlive

Posted By: Subhesh Sharma