तीखे आरोपों और घिसे-पिटे जुमलों के लिए बदनाम हो चुके इस चुनाव के आठवें चरण में बुधवार को 64 सीटों पर मतदान है. आठवें चरण में आंध्र प्रदेश की 25 उत्तर प्रदेश की 15 बिहार की सात पश्चिम बंगाल की छह उत्तराखंड की पांच हिमाचल प्रदेश की चार और जम्मू-कश्मीर की दो सीटों पर वोटिंग है.


इस चरण में पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों की किस्मत का फ़ैसला होगा. इनमें उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी पौड़ी से, रमेश पोखरियाल निशंक हरिद्वार से, भगत सिंह कोशियारी नैनीताल से, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी सारण से और आंध्र प्रदेश में तेलुगुदेशम के अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू कप्पम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी से, भाजपा नेता वरुण गांधी सुल्तानपुर से, भाजपा उपाध्यक्ष स्मृति ईरानी अमेठी, पूर्व केंद्रीय मंत्री डी पुरंदेश्वरी राजमपेट से, अनुराग ठाकुर हमीरपुर से और साकेत बहुगुणा टिहरी से चुनाव लड़ रहे हैं.इनके अलावा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत हरिद्वार से, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह मंडी से और केंद्रीय मंत्री बेनीप्रसाद वर्मा गोंडा से उम्मीदवार हैं. वाईएसआर कांग्रेस के नेता जगनमोहन रेड्डी पुलिवेंदुला विधानसभा सीट से उम्मीदवार हैं.


संख्या के लिहाज़ से सबसे ज़्यादा अहम आंध्र प्रदेश नज़र आता है. कांग्रेस के लिए यूपीए-टू सरकार बनाने में आंध्र प्रदेश की अहम भूमिका थी.'जाति हावी या धर्म'

हालांकि वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा मानते हैं कि भाजपा को हिंदू राष्ट्रवाद से ज़्यादा फ़ायदा होता नहीं दिख रहा इसीलिए नरेंद्र मोदी जाति का भी नारा बुलंद कर रहे हैं और उन्होंने चुनाव के एक दिन पहले अपने पिछड़े होने का हवाला दिया.वो कहते हैं, "हिंदू राष्ट्रवाद ऊंची जाति को अपील करता है. दलित समाज बसपा के साथ है लेकिन जहां तक पिछड़ों का सवाल है, भाजपा के साथ यादव तो नहीं गए लेकिन उनकी कोशिश है कि उन्हें ग़ैर यादव पिछड़ों के वोट मिल जाएं. देखना यह है कि जाति हावी होती है या धर्म का नारा हावी होता है या दोनों का समन्वय होता है."बिहार में राबड़ी देवी और रामविलास पासवान भी प्रतिष्ठा की लड़ाई लड़ रहे हैं. रामविलास पासवान पिछला लोकसभा चुनाव हार गए थे और राबड़ी देवी अपने पति लालू प्रसाद यादव की सारण सीट से उम्मीदवार हैं. पिछली बार इन सात सीटों में से ज़्यादातर जदयू के खाते में गई थी.इनके अलावा हिमाचल प्रदेश की चार सीटों और उत्तराखंड की पांच सीटों पर भी इसी चरण में चुनाव हैं. विनोद शर्मा कहते हैं कि इन दोनों राज्यों का महत्व बहुत कम है क्योंकि सीटें कम हैं. उनका आकलन है कि भाजपा और कांग्रेस को यहां बराबर सीटें मिलेंगी.

वहीं पश्चिम बंगाल में वाम दलों के सामने चुनौती अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने की है. बांकुरा से नौ बार के सांसद बासुदेब आचार्य के सामने अभिनेत्री मुनमुन सेन हैं तो आसनसोल से भाजपा के प्रत्याशी और गायक बाबुल सुप्रियो की चुनावी किस्मत भी यहां दांव पर लगी है.इस चरण के बाद 12 मई को सिर्फ़ 41 सीटों पर मतदान बचेगा जिनमें बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश की 24 सीटें शामिल हैं.

Posted By: Subhesh Sharma