26/11: पूरे नहीं हुए वादे
तीन साल पहले जब 26 नवंबर 2008 को मुंबई अब तक के सबसे बड़े टेररिस्ट अटैक से दहली थी, तो उसके बाद कोस्टल सिक्योरिटी समेत तमाम दावे किए गए थे. तीन साल बाद शनिवार को मुंबई हमलों की तीसरी बरसी पर अगर नजर डालें तो पता लगता है कि ये सारे दावे वहीं के वहीं हैं. आइए देखते हैं कि इन हमलों के तीन साल बाद हम कहां हैं.
- प्रोजेक्ट में सभी सेलिंग वेसेल्स के रजिस्ट्रेशन के बारे में भी कहा गया था. - यह भी तय किया गया था कि ऐसी बोट्स जो 20 फीट से ज्यादा लंबी हैं, उन्हें एआईएस के जरिए से आइडेंटीफाई किया जाएगा. अगर ऐसा नहीं होता है तो ऐसी बोट्स को अनफ्रेंडली वेसल के तौर पर ट्रीट किया जाएगा. फिलहाल शिपिंग मिनिस्ट्री इस प्रोजेक्ट की स्टडी करने में लगी हुई है.
कहां गया blueprint
एक ऑफिसर के मुताबिक सिक्योरिटी के ये सारे प्वाइंट्स ब्यूरोक्रेसी के कारण अधूरे हैं. सिक्योरिटी एजेंसीज के बीच चलने वाली तनातनी भी इन सारे प्रोजेक्ट्स को पूरा होने से रोक रही है. ऑफिसर ने माना कि जब तक ब्यूरोक्रेटिक प्रेशर, आपसी टेंशन और जरूरी इक्विपमेंट्स की कमी को पूरा नहीं किया जाएगा, तब तक सिक्योर कोस्टलाइन के बारे में सोचना बेमानी होगा.Sea link पर खतरामुंबई की शान बन चुका बांद्रा वर्ली सी लिंक भी पूरी तरह से सिक्योर नहीं हो पाया है. 4.7 किमी लंबे इस ब्रिज पर 50 करोड़ की लागत से सीसीटीवी और दूसरे सिक्योरिटी इक्विपमेंट्स को इंस्टॉल किया जाना था. फरवरी 2009 में एनाउंस हुए इस प्रोजेक्ट के तहत अभी तक केवल छह सीसीटीवीज ही इंस्टॉल हो पाए हैं. जून 2009 में महाराष्ट्र के पुलिस कमिश्नर ने महाराष्ट्र रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन को एक चिट्ठी लिखकर सी लिंक की सिक्योरिटी के बारे में पूछा था. इस चिट्ठी में उन्होंने ब्रिज के लिए 3.7 करोड़ रुपए के हाइ-टेक सिक्योरिटी सिस्टम के इंस्टॉलेशन के अलावा 45 करोड़ रुपए के एडीशनल सिक्योरिटी सिस्टम की मांग पर जोर दिया था.