- पिछले 48 घंटों में एक मीटर से ज्यादा बढ़ा राप्ती का जलस्तर

- बर्डघाट में खतरे के निशान से महज 4 मीटर नीचे बह रही राप्ती

- घाघरा भी खतरे के निशान के पास पहुंची

GORAKHPUR: गोरखपुर में राप्ती नदी ने अपना भाव दिखाना शुरू कर दिया है। नेपाल में हो रही बरसात और डैम से छोड़े गए पानी की वजह से राप्ती का जलस्तर बढ़ने लगा है। पिछले 48 घंटों की बात करें तो इस दौरान बर्डघाट में राप्ती नदी का जलस्तर एक मीटर से ज्यादा बढ़ा है। जिसके बाद महकमा के हाथ-पांव फूलने लगे हैं। हालत यह है कि राप्ती बर्डघाट में इस वक्त खतरे के निशान से महज चार मीटर नीचे बह रही है।

74.98 है खतरे का निशान

गोरखपुर के बर्डघाट में राप्ती तांडव मचाती है, जिसके बाद आसपास के एरिया जल मग्न हो जाते हैं। यहां खतरे का निशान 74.98 आरएल मीटर है। जबकि, मौजूदा वक्त में यहां राप्ती का जलस्तर 70.60 पर है। पिछले दो दिनों की बात करें तो इस दौरान इसमें एक मीटर की वृद्धि दर्ज की गई। रविवार की रात जहां राप्ती का जलस्तर 69.62 था, वहीं सोमवार की सुबह राप्ती 70.44 पर बहने लगी। देर शाम ली गई रीडिंग में यह आंकड़ा 70.6 के पास पहुंच गया।

कल से हाे गई स्थिर

राप्तीनगर का जल स्तर पिछले दिनों लगातार बढ़ रहा था। सोर्सेज की मानें तो इसकी अहम वजह शारदा कैनाल से करीब 2 लाख 75 हजार क्यूसेक पानी छूटा था, इसकी वजह से घाघरा का जल स्तर बढ़ और उसका असर गोरखपुर की राप्ती पर भी देखने को मिल रहा है। लेकिन शाम के बाद आगे की नदियों का जलस्तर कम होने की वजह से पानी तो बढ़ा, लेकिन राप्ती का जलस्तर स्थिर हाे गया है।

1998 में मचाया था तांडव

मानसून की शुरुआत के साथ ही राप्ती का जलस्तर बढ़ने लगा। एक दिन में एक मीटर से ज्यादा बढ़े जल स्तर को देखते हुए जिम्मेदारों ने इसकी तैयारी तेज कर दी थी। आपदा प्रबंधन से जुड़े लोगों की मानें तो 1998 में आई बाढ़ ने काफी तबाही मचाई थी। इस दौरान बर्डघाट में राप्ती का जलस्तर 77.54 था। अभी मौजूदा वक्त में राप्ती नदी इस निशान से करीब 7 मीटर नीचे बह रही है। मगर जिस तरह पहली बरसात में ही राप्ती ने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं, इससे बाढ़ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

गंगा और घाघरा पर डिपेंड

गोरखपुर में बाढ़ की बात करें तो यहां बाढ़ आने में गंगा और घाघरा का अहम रोल है। विभाग से जुड़े लोगों की मानें तो राप्ती का पानी आगे जाकर घाघरा नदी में मिलता है। वहीं घाघरा आगे जाकर गंगा में मिलती है। जब गंगा का जलस्तर बढ़ता है तो घाघरा का पानी उसमें जाना बंद हो जाता है। इसकी वजह से घाघरा स्थिर होती है और उसका पानी बढ़ने लगता है। इस स्थिति में राप्ती का पानी भी घाघरा में जाना बंद हो जाता है और यहां का पानी स्थिर होने की वजह से बढ़ने लगता है। नेपाल से लगातार पानी छूटने की वजह से यहां का जलस्तर काफी बढ़ जाता है और बाढ़ के हालात हो जाते हैं।

वर्जन

रविवार को राप्ती का जलस्तर बहुत तेजी से बढ़ा था, यह करीब एक मीटर से ज्यादा ऊपर भाग गई थी। लेकिन अब इसका जलस्तर स्थिर है।

- गौतम गुप्ता, प्रोजेक्ट मैनेजर, जिला आपदा प्रबंध प्राधिकरण

Posted By: Inextlive