मोदी सरकार ने लोकपाल कानून के तहत लोकपालों की नियुक्ति के लिए चयनित समिती को और ज्‍यादा आजादी देने का डिसीजन लिया है. इससे अच्‍छे और निष्‍पक्ष लोकपालों के चुने जाने की संभावना है.


किन नियमों में हुआ फेरबदलकेंद्र सरकार ने लोकपाल चुनने वाली समिति को अधिक आजादी देते हुए कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से आए नामों के अलावा भी लोकपाल चुनने की आजादी दी. दरअसल लोकपाल चुनने के लिए पहले सर्च कमेटी एक लिस्ट बनाती है. इस लिस्ट को लोकपाल चयन समिति के पास भेजा जाता है. गौरतलब है कि लोकपाल चयन समिति की अध्यक्षता स्वयं प्रधानमंत्री करते हैं. इसके साथ ही सर्च कमेटी को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से आए नामों में से लिस्ट बनानी पड़ती है. लेकिन नई व्यवस्था के साथ सर्च कमेटी अपने विवेक से भी लोकपाल पद के लिए नामों को एड कर सकती है. घट गए सर्च कमेटी के सदस्य


नए नियमों में सर्च कमेटी के सदस्यों की संख्या में भी कमी लाई गई है. इससे पहले इस कमेटी में कम से कम आठ लोगों को करप्शन, लोक प्रशासन और विजिलेंस का अनुभव है. अब इन सदस्यों की संख्या घटकर सात हो गई है. खत्म हो गई 30 दिनों की शर्त

इन नियमों के अलावा मोदी सरकार ने सर्च कमेटी के ऊपर 30 दिनों की शर्त भी हटा दी है. इससे पहले सर्च कमेटी के ऊपर शर्त थी कि वह कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से नामों की लिस्ट मिलने के 30 दिनों के अंदर ही सलेक्शन कमेटी को भेजेगी. नए नियमों में यह सलेक्शन कमेटी पर छोड़ दिया गया है. इन नियमों में बदलाव के बाद लोकपाल के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होगी.

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Posted By: Prabha Punj Mishra