- डेली अस्पतालों में पहुंच रहे केसेज, बीमारी की अनदेखी कर सकती है परेशान

GORAKHPUR: पाइल्स यानी बवासीर काफी तकलीफ देने वाली बीमारी है। अक्सर लोग झिझक की वजह से इस बीमारी को छिपाते हैं। जिसके चलते संक्रमण बढ़ जाता है। अमूमन 50 साल से ज्यादा उम्र वालों की मानी जाने वाली यह बीमारी अब युवाओं को भी तेजी से अपनी जद में ले रही है। शुरू में सिर्फ दर्द और जलन की शिकायत के साथ शुरू इस बीमारी की अनदेखी के कारण बाद में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। बदलते लाइफस्टाइल के चलते सिटी की यंग जनरेशन भी इसकी शिकार होने लगी है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल और आयुष विंग चिकित्सालय में डेली दस से बीस पाइल्स से पीडि़त लोग पहुंच रहे हैं।

बीमारी की वजह

मेडिकल कॉलेज के सर्जन डॉ। अभिषेक जीना ने बताया कि कुछ लोगों में यह रोग अनुवांशिक तौर पर पाया जाता है। जिन लोगों को अपने रोजगार की वजह से घंटों खड़े रहना पड़ता हो, जैसे बस कंडक्टर, ट्रैफिक पुलिस, पोस्टमैन या जिन्हें भारी वजन उठाने पड़ते हों, जैसे कुली, मजदूर, भारोत्तलक वगैरह, उनमें इस बीमारी से पीडि़त होने की संभावना अधिक होती है। कब्ज भी पाइल्स को जन्म देता है। कब्ज की वजह से मल सूखा और कठोर हो जाता है जिससे उसका निकास आसानी से नहीं हो पाता। पाइल्स कैंसर की वजह से या मूत्र मार्ग में रुकावट की वजह से या गर्भावस्था में भी हो सकता है।

दो तरह का होता है पाइल्स

खूनी पाइल्स

खूनी पाइल्स में किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होती है सिर्फ खून आता है। गुदा द्वार के अंदर मस्सा होता है, बाद में यह बाहर आने लगता है। मल के बाद अपने से अंदर चला जाता है। पुराना होने पर बाहर आने पर हाथ से दबाने पर ही अंदर जाता है। आखिरी स्टेज में हाथ से दबाने पर भी अंदर नहीं जाता है।

फिशर पाइल्स

फिशर पाइल्स रहने पर पेट खराब रहता है। कब्ज बना रहता है और गैस बनती है। इसमें जलन, दर्द, खुजली, शरीर में बेचैनी, काम में मन न लगना आदि दिक्कतें होती हैं। मल कड़ा होने पर इसमें खून भी आ सकता है। इसमें गुदा द्वार के अंदर घाव हो जाता है। इसे फिशर भी कहा जाता है। इसमें असहनीय जलन और पीड़ा होती है। पाइल्स बहुत पुराना होने पर फिस्चुला हो जाता हैं।

बॉक्स

प्रेग्नेंसी के दौरान होना सामान्य

प्रग्नेंसी के दौरान पेट पर दबाव व हार्मोन संबंधी बदलाव के कारण पाइल्स की शिकायत होती है। प्रसव के बाद यह दिक्कत अपने आप दूर हो जाती है।

समय से इलाज नहीं तो हो सकता कैंसर

आखिरी स्टेज होने पर यह कैंसर का रूप ले लेता है। इसे रेक्टम कैंसर कहते हैं। यह जानलेवा होता है। अनदेखी के कारण युवाओं में रेक्टम कैंसर के मामले भी बढ़ रहे हैं।

कारण

- कब्ज

- पाचन क्रिया सही न रहना

- भारी चीजें उठाना

- गैस की समस्या

- तनाव

- मोटापा

लक्षण

पाइल्स का दर्द सभी को एक जैसा नहीं होता लेकिन रेक्टल एरिया में दर्द, खुजली जनल, सूजन और संक्रमण इसके सामान्य लक्षण है।

इलाज

- तरल पदार्थ का सेवन।

- फलों का अधिक सेवन करना।

- तली हुई चीजें, मिर्च-मसाला युक्त भोजन न करें।

- रात में सोते समय एक गिलासा पानी में इसब्गोल की भूसी दो चम्मच डालकर पीने से लाभ होता है।

डेली आने वाली शिकायतें

बीआरडी मेडिकल कॉलेज ओपीडी - 15-20

जिला अस्पताल ओपीडी - 10-15

जिला अस्पताल के आयुष चिकित्सालय की ओपीडी - 15-20

वर्जन

बदलती दिनचर्या और खानपान की वजह से युवाओं को यह बीमारी अपने चपेट में ले रही है। रोग निदान के पश्चात प्रारंभिक अवस्था में घरेलू और दवाओं के जरिए रोग की तकलीफों पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। सबसे पहले कब्ज को दूर कर मलत्याग को सामान्य और नियमित करना जरूरी है। अगर ज्यादा परेशानी होती है तो तत्काल डॉक्टर्स से परामर्श लें।

- डॉ। अभिषेक जीना, सर्जन, बीआरडी मेडिकल कॉलेज

ऐसे मरीजों को समुचित आहार व्यवस्था बताकर आयुर्वेद औषधियों के जरिए कारगर इलाज किया जाता है। अर्शकुठार रस, त्रिफला गुग्गुल, त्रिवृत्त चूर्ण आदि औषधियों से बवासीर व उसके कारणों जैसे कब्ज, गैस बनना, कमजोर पाचन शक्ति को दूर करने में सफलता मिलती है।

- डॉ। आशीष त्रिपाठी, आयुर्वेद चिकित्सक

Posted By: Inextlive